Poet
Sarvesh Tripathi
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Back to List of Poets Back to List of Poems पीड़ाएं भी मुस्काती है मजबूरी के गाँव से ।
उम्मीदों की धुप न होगी इस अंधियारी छाँव से ।। सड़कों के जो राही होंगे । लगता है हमराही होंगे । इस आशा में जीवन बीता । मरता मरता जीता जीता । आवाजाही दूर सुखों की बिलकुल अपनी ठाँव से । आँखों में जब आँसू आए । उन्हें पोंछकर भी मुस्काए । जब जब दुःख के बादल छाए । हमने छाते कई बनाए । लेकिन आँधी जीत गयी है शायद मेरे दाँव से । दिन कट जाता गाते रोते । रातों में भी कैसे सोते । चिन्ताओं का आदी होकर । मन इतना अवसादी होकर । हारा थका लौट आया है वापस अपने पाँव से । |
***सहमति पत्र***
1. मैं साहित्यिक वेबसाइट www.niharikanjali.com को अपनी साहित्यिक रचनाएं जो कि मेरी स्वयं की मौलिक रचनाएं हैं, प्रकाशित करने की सहमति प्रदान करता / करती हूँ। इसके लिए उपरोक्त वेबसाइट से मैं भविष्य में कभी भी अपनी रचनाओं को प्रकाशित करने के लिए किसी भी प्रकार के भुगतान की मांग नहीं करूंगा / करूंगी।
2. विवाद की स्थिति में रचनाओं की मौलिकता सिद्ध करने में वेबसाइट www.niharikanjali.com की किसी प्रकार की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी एवं रचनाओं की मौलिकता सिद्ध करने का प्रथम एवं अंतिम कर्तव्य मेरा स्वयं का ही होगा।
3. उपरोक्त वेबसाइट से संबंधित किसी भी प्रकार के विवाद का न्यायिक क्षेत्र कानपुर अथवा दिल्ली ही होगा।
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