NEEHARIKANJALI
Poet
Manoj Arya


नाम- डॉ. मनोज आर्य
जन्मतिथि- 01-Dec-1974
जन्मस्थान- सम्मोपुर, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत
शिक्षा- बीज-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विषय में परा-स्नातक एवं पीएच.डी.
सम्प्रति- उत्तराखण्ड स्टेट सीड्स सर्टिफिकेशन एजेन्सी में बीज प्रमाणीकरण निरीक्षक के पद पर कार्यरत
लेखन विधा- गीत, ग़ज़ल, कविता
प्रकाशित रचनायें- ग़ज़ल संग्रह ‘इस घने अंधेरे में’ (2006), कुछ टूटता हुआ सा (2009 )
विशेष- मनोज आर्य की ग़ज़लें राष्ट्रीय चेतना की गवाही देते हुए सामाजिक वर्जनाओं एवं विषमताओं पर कुठाराघात करती हैं

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कविता संग्रह


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बहुत दिन तक कभी भी एक सा मौसम नहीं रहता ...


दिलों में दूरियाँ बढ़ जाती हैं, घर टूट जाते हैं
यहाँ रिश्ते ग़लतफ़हमी में अक्सर टूट जाते हैं

टिका होता है सब कुछ आपसी विश्वास के दम पर
जहाँ बुनियाद ही कमज़ोर हो, घर टूट जाते हैं

बहुत दिन तक कभी भी एक सा मौसम नहीं रहता
बदलती है निज़ामत, लाव-लश्कर टूट जाते हैं

बग़ावत कर के जब अपना कोई दुश्मन से मिल जाये
भले मज़बूत हों कितने भी, बंकर टूट जाते हैं

चला लो तुम अभी कानून अपना, चल सके जब तक
मगर कानून की ज़द में, धुरंधर टूट जाते हैं




***सहमति पत्र***

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