Poet
Manoj Arya
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Back to List of Poets Back to List of Poems कोई मन्दिर, कोई मस्जिद, या कोई रब नहीं होता
दरिंदों का कभी अपना कोई मज़हब नहीं होता तबाही करने वालों का महज़ मक़सद तबाही है लहू किसका बहा, इससे उन्हें मतलब नहीं होता हमारी आह का तुम पर असर अब हो, न हो लेकिन तुम्हारे दर्द का एहसास हमको कब नहीं होता तुम्हारे शहर में तो सिर्फ़ हिन्दू या मुसलमाँ हैं तुम्हारे शहर में इंसान कोई अब नहीं होता जो बस तालीम दे आतंक की, फ़िरकापरस्ती की ‘मनोज’ ऐसा भी मक़तब तो, कोई मक़तब नहीं होता |
***सहमति पत्र***
1. मैं साहित्यिक वेबसाइट www.niharikanjali.com को अपनी साहित्यिक रचनाएं जो कि मेरी स्वयं की मौलिक रचनाएं हैं, प्रकाशित करने की सहमति प्रदान करता / करती हूँ। इसके लिए उपरोक्त वेबसाइट से मैं भविष्य में कभी भी अपनी रचनाओं को प्रकाशित करने के लिए किसी भी प्रकार के भुगतान की मांग नहीं करूंगा / करूंगी।
2. विवाद की स्थिति में रचनाओं की मौलिकता सिद्ध करने में वेबसाइट www.niharikanjali.com की किसी प्रकार की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी एवं रचनाओं की मौलिकता सिद्ध करने का प्रथम एवं अंतिम कर्तव्य मेरा स्वयं का ही होगा।
3. उपरोक्त वेबसाइट से संबंधित किसी भी प्रकार के विवाद का न्यायिक क्षेत्र कानपुर अथवा दिल्ली ही होगा।
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